Wednesday, September 19, 2012

कुछ ऐसा सोचती हूँ...

आज ये सोचते हैं ,
कि कल कुछ और पायेंगे ..
मंजिल तो सोची है एक
न जाने कहाँ जायेंगे …
दिल मे मेरे भी कुछ ख्वाब हैं ,
रूह को कुछ लफ़ज़ों की तलाश है …
कभी चाहती हूँ हवा के साथ बह जाऊं ...
पर कभी लगता है यह तो सब करते हैं ...
इस मे क्या खास है ...
दिल चाहता है खुश हो जहाँ सब ,
ऐसा कुछ कर जाऊं
ज़िन्दगी को जाने से पहले
एक मुस्कुराता हुआ सलाम दे जाऊं ...


निधि बंसल :)

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